पानापुर गंडक नदी के किनारे बसे तरबूज किसान बेहाल, लाखो रुपये के तरबूज,लौकी, खीरा,गंडक नदी मे डूबा saran khabar
✍️...पानापुर (सारण) : गंडक नदी के किनारे बसे तरबूज किसानो का हाल बेहाल हो गया है। कई किसान और उनके परिवार छाती पीट-पीटकर रो रहे है कि अब साहूकारो का पैसा कहां से चुकायेगे।कारण है शनिवार को आचानक गंडक नदी मे बढ़ते जलस्तर और सैकड़ो एकड़ मे लगे तरबूज,लौकी,खीरा तथा नेनुआ के फसल का डूबना।शनिवार को गंडक नदी के जलस्तर मे हो रहे वृद्धि के दर्जनो किसानो के सैकड़ो एकड़ मे लगे लाखो रूपये मूल्य के तरबूज, लौकी तथा खतरा का फसल डूब गया। जिससे सभी किसान तथा उनके परिवार को समझ नही आ रहा है कि अब क्या करे।समय से पहले नदी मे पानी आने के कारण नदी मे चारो ओर केवल तरबूज,खीरा तथा लौकी ही बहता हुआ दिखाई दे रहा है।
👉 साहूकारो से ब्याज पर रूपये लेकर करते है खेती :
◼️ थाना क्षेत्र के गंडक नदी के किनारे बसे बसहियाॅ,सोनवर्षा, रामपुररुद्र, सारंगपुर के दर्जनो किसान साहूकारो से ब्याज पर रूपये लेकर सैकड़ो एकड़ मे तरबूज,लौकी आदी की खेती करते है तथा फसलो को बेचकर साहूकारो का ब्याज सहित रूपये वापस करते है।लेकिन कोविड मे हुए लॉकडाउन के कारण फसले समय से नही बिक सके और ना ही मंडी मे जा सके।और ऊपर से समय से पहले पानी आकर किसानो का कमर तोड़कर रख दिया। परिवार के जीविका का है मुख्य साधन। इन किसानो का सालभर के लिए जीविका का मुख्य साधन तरबूज की खेती ही है।ऐसे मे पिछले वर्ष तथा इस वर्ष लॉकडाउन के कारण फसलो औए पौने दामो पर बेचना पड़ा।जिससे इन किसानो की हालत ब्द से बदतर हो गया है। सरकार को किसानो के हुए नुकसान का करना चाहिए भरपाई। तरबूज किसानो ने सरकार से अपील की है कि उनके फसल का भी क्षतिपूर्ति सरकार को देनी चाहिए ताकि किसानो को कुछ राहत मिल सके।


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