खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें होतीं : टुन्ना भाकियू ने केंद्र
सरकार से मांगा किसानों के लिए 1.5 लाख करोड़ का पैकेज
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता प्रमोद सिंह टुन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज देने सहित सात मांगें की हैं। उन्होंने कहा है कि लॉक डाउन के चलते सब्जियों और फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल के किसान को 100 प्रतिशत, दूध के किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इस संकट की घडी में भी किसान जान हथेली पर रखकर खेत में कार्य कर रहा है। आज किसानों के दम पर ही देश कोरोना से लड़ पा रहा है। अगर देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती। पत्र में उन्होंने कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते देश में लॉक डाउन करना पड़ा। देशहित में यह अच्छा कदम था। लेकिन, लॉक डाउन की घोषणा उस समय करनी पड़ी, जब किसान रबी की कटाई और खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। असमय बारिश के कारण किसानों के फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लॉक डाउन की घोषणा के बाद किसानों के फसलों की कटाई के लिए लेबर मिलना मुश्किल हो गया था। जिसके चलते किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया था। परिवहन के साधन बन्द होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गई थी या उनके भाव नहीं मिल रहे थे। जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को फेंकने या नष्ट किये जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं। जिसके चलते किसानों के पास खरीफ की बुवाई का संकट है। किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता प्रमोद सिंह टुन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज देने सहित सात मांगें की हैं। उन्होंने कहा है कि लॉक डाउन के चलते सब्जियों और फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल के किसान को 100 प्रतिशत, दूध के किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इस संकट की घडी में भी किसान जान हथेली पर रखकर खेत में कार्य कर रहा है। आज किसानों के दम पर ही देश कोरोना से लड़ पा रहा है। अगर देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती। पत्र में उन्होंने कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते देश में लॉक डाउन करना पड़ा। देशहित में यह अच्छा कदम था। लेकिन, लॉक डाउन की घोषणा उस समय करनी पड़ी, जब किसान रबी की कटाई और खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। असमय बारिश के कारण किसानों के फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लॉक डाउन की घोषणा के बाद किसानों के फसलों की कटाई के लिए लेबर मिलना मुश्किल हो गया था। जिसके चलते किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया था। परिवहन के साधन बन्द होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गई थी या उनके भाव नहीं मिल रहे थे। जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को फेंकने या नष्ट किये जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं। जिसके चलते किसानों के पास खरीफ की बुवाई का संकट है। किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं।
Comments
Post a Comment